Aughad Baba

Aughad Baba

Tuesday, July 14, 2009

mangaldhanram


नीति और धर्म

सुधर्मा ! नीति चक्षु-हीन होती है l धर्म पांव - हीन होता है l एक अन्धा है तो एक लगड़ा है l सुधर्मा, शासक को चाहिये दोनों का समन्वय l जो कुशल शासक होता है, जन आकांक्षाओं को देनेवाला होता है, वह दोनों का समन्वय करता है, सुधर्मा l राष्ट्र् का गोरव बढ़ाने वाला होता है, राष्ट्र् में कीर्ति स्थापित करनेवाला होता है l नीति और धर्म अलग रहने से, मस्तक और पां का सन्तुलन नहीं बन पाता है l सुधर्मा ! यह कलह का कारण होता है l
जन-श्रुति है, सृष्टि के आदिकाल में आदि-पुरूष अंगूठे को मुँख में रखे हुए चूमते थे l तूने भी सुना है l सुधर्मा, यह इसी का द्योतक है l उस पुराण-पुरूष का यह रेखा-चित्र है, सुधर्मा l इसे जो जानता है, वह जन आकांक्षाओं का पूरक होता है सुधर्मा ! ऐसी दृष्टि अपनानी होगी, सुधर्मा l

Thursday, June 25, 2009

औघड़ बाबा






· आज का आदमी बहुत उलझा हुआ है , वह न तो व्यवहार में स्पष्ट है और न बातों मे शायद यह सबको खुश करने की नीति के कारण ही है , इस युग में सफल होने का एकमात्र उपायय मूक दर्शक बनना ही है l

Saturday, January 17, 2009

mangaldhanram




गुरू वाणी






· लोक सेवा करनी है तो स्वास्थ्य पर पूरा ध्यान देना होगा l





· निष्काम सेवा से लोगों के दिल में प्रतिष्ठा मिलती है l


· बिखरे को एकत्र करना ही मानवता की सेवा है l


· निष्काम लोक सेवी को सेवकों की होड़ में सबसे आगे रहना चाहिए l


· सेवा श्रद्धा से करनी चाहिए, दबाव से नहीं l


· सेवा निष्काम होनी चाहिए, सेवा की कोई कीमत नहीं लगा सकता l


· सेवा सुखी की नहीं दुःखी की करनी चाहिए l


· जन सेवा का अवसर मिलने पर कभी भी पीछे न रहो l


· थोड़ा समय भी निःस्वार्थ सेवा में लगाओ l


· सेवा में व्यस्त रहना स्वर्ग सुख पाना है l


· सेवा में थकना पाप है l


· सेवा में कोई भी काम छोटा नहीं है l


· सेवक को अपने स्वामी के साथ प्रतिक्षण रहना होगा lस्वामी समझना होगा


तभी वह सेवा मे निष्ठा ला सकता है l वह अपने स्वामी को स्वयं समझेगा उसके


सुख दुःखों को अपना समझेगा तभी उसकी सच्ची सेवा होगी l स्वामी के शरीर को


अपने शरीर की भांति देखभाल करनी होगी l ऐसा जो कर लेगा वह परम पद को


पा लेगा l


· जनता की सेवा ही ईश्वर की भक्ति है, सेवा भी निःशुल्क सेवा का अर्थ ही है


स्वार्थ का त्याग l


· सेवा अवसर दो या शरीर बदल दो l


· सेवा की कीमत नहीं दी जा सकती l


· कुमारी सेवा की अवतार है, कुमार से यही अन्तर है l

mangaldhanram



गुरू वाणी




· त्याग से प्रेम सींचा जाता है l

· प्रेम की सीमा खुश रखने में है, सिर्फ खुश रहने में नहीं l

· सर्वदा सब काम तत्परता से करो l

· जो भी काम करो पुरा करो l

· जो भी साथ में हो उसकी मदद करो l

· सबसे बुरा परिणाम मौत का होता है उसके लिए भी तैयार रहो l

· सभी विपत्ति साथ में अच्छी है l

· श्रद्धा से श्रद्धा का पात्र बनो l हमेशा शान्त रहने की कोशिश करो l

· सत्य बोलने से वाणी में शान्ति आती है l

· विश्वास के बिना कोई सिद्धि नहीं मिलती l

· अपमान कभी होता ही नहीं, अपनी समझ है l

· आत्मा को समझने वाला दुःखी नहीं होता l

· समय को पहचानो, समय तुम्हारा है l

· जो भी कना हो, करने के पहले सोचिये l

· चलने के पहले ही रास्ता बन जाता है l

· जल के प्रवाह से सीख लो l

· एक स्थान शान्ति देने वाला बनाओ l

· सम्पत्ति की शोभा सहयोग में है l

· जीवन कब मोड़ लेगा समय ही जानता है l

· किसी के पीछे मत रहो, तुम स्वयं अपनेपीछे रहो l

· कौन जानता है कब कौन कहाँ रहेगा इसलिए प्रिय भाषण करो l

· स्मृति से पास जाने की लालसा बढ़ जाती है l

· नम्र बनने के लिए अपने को हीन समझना होगागा l

· चल देने पर रास्ता मिल जाता है l

· सब जगह सब समय बोलना ठीक नहीं है l

· हक लेने में झुकना कमजोरी का प्रतीक है l

· अच्छे काम को अकेले भी करना चाहिए l

· बिना जरूरत भी सम्पर्क कायम रखो l

· सुनने वाला तैयार न हो तो न कहो l

· गलत काम का विरोध सही ढंग से करो l

· आशावादी होना दुःख के लिए जगह बनाना है l

· किसी कीमत पर महान पुरूषों का साथ मत छोड़ो l

· मारना है तो अभिमान को मारो l

· शान्ति के लिए भीतर देखो l

· बिना जरूरत नहीं बोना ही मौन है l

· अधिक बातें करना दुर्बलता है l

· आज का समय शान्तिपूर्ण बिता लो l

· भूलना है तो सब भूल जाओ l

mangaldhanram

गुरू वाणी
· समय हो तो ईश्वर का ध्यान करो और समाज का काम करो l

· प्रयास के अन्तिम छोर पर ईश्वर है l

· दिमाग में कलुषित विचार आने पर लगातार ईश्वर का ध्यान करो l

· प्रसन्न रहना ईश्वर की पूजा है l

· ईश्वर पर पूर्ण भरोसा करो l

· ईश्वर से दूर होने पर चिन्ता के पास हो जाते हैं l

· ईश्वर में सन्देह करना अपने में सन्देह करना है l

· भगवान कब क्या देगा, यह वही जानता है l

· यदि तुम सचमुच अकेले हो तो ईश्वर तुम्हारा मित्र है l

· ईश्वर क्या करना चाहता है जानो और धीरज रखो l

· प्राण वायु को संभालने और समझने से ईश्वर ज्ञान होता है l

· जो शक्ति ईश्वर से मिलती है वह कोई नहीं दे सकता है l

· सभी कार्य ईश्वर द्वारा किया जाता है l

· ईश्वर के दरबार में सिर्फ न्याय होता है l

· अगर ईश्वर पर भरोसा है तो बुरे से बुरे समय के लिए तैयार रहो l

· ईश्वर को भूल कर सुखी रहना कठिन है l

· ईश्वर चलते का सहारा है l

· ईश्वर की तरफ होने से ऐश्वर्य पीछे की तरफ हो जाता है l

· भगवान नहीं भूलता है तुम भूलते हो l

· मानव को कैसे रखना यह ईश्वर ही जानता है l

· शक्ति संचय कर ईश्वर को समझ लो l

· साधना ईश्वर के लिये बना बनाया रास्ता है l

· गलत सही का विचार न होना ही ईश्वरमय होना है l

· ईश्वर पर भरोसा धैर्यहीन को नही होता, धैर्य सहनशीलता की उच्चतम श्रेणी है ,
सहनशीलता अभ्यास से आती है सहनशीलता तथा धैर्य एक अभिन्न मित्र है l

· ईश्वर जब तक प्रेरणा नही देता तब तक सुबुद्धि नहीं होती तथा अवसर नहीं पहचान
सकता कोई l

· ईश्वर की कृपा जिस पर होती है वही सामाजिक कार्य में सफलता प्राप्त करता है l

· ईश्वर अनजाने ही बहुत सा काम कराता है , जो अपने सुविधा तथा कार्यक्रम के
अनुसार होता है उसे कहते हैं कि हमने किया जो अनायास होता है उसे ईश्वर की
दुहाई देते है , परन्तु हर काम उसी की इच्छा से होता है l

· जनता का काम करने वाले के लिए ईश्वर सम्मान तथा यश उसके साथ-साथ लिये
चलता है l

· ईश्वर पर भरोसा करके जो भी कार्य धीरज से किया जाता है वह अच्छा होता है l

· ईश्वर सदा प्रेम के साथ देखा जा सकता है l

· मनुष्य को स्वयं अपने पर भरोसा करना चाहिये यही भरोसा ईश्वर तक पहुँचाता है
l